A Pinch of Snuff by Manhar Malgaonkar || A pinch of snuff summar in hindi

A Pinch of Snuff

Manohar Malgaonkar

Summary in Hindi

वर्णनकर्ता बैलसिज मन्त्रालय में परख अवधि पर अंडर सेक्रेट्री है । एक दिन उसकी माँ ने प्रसन्नता से उसे बताया कि नानूकाका उनके साथ ठहरने के लिए आ रहा है क्योंकि वह किसी मन्त्री से मिलना चाहता है । वर्णनकर्ता व्याकुल हो गया क्योंकि वह जानता था कि नानूकाका का ठहरना उसके लिए असुविधाजनक होगा और हो सकता है कि वह कई दिन तक ठहरे । आखिर किसी मंत्री से भेंट करना सरल न था । परन्तु उसकी माँ ने उसे विश्वास दिलाया कि नानूकाका दो-तीन दिन से अधिक न ठहरेगा । वह ऐसा आदमी था जो अपने ढंग से काम निकाल लेता था ।
नानूकाका का आगमन
वर्णनकर्ता नानूकाका को लेने रेलवे प्लेटफार्म पर गया । नानूकाका ने उसे एक टोकरी दी और तुरन्त बाहर जाने के लिए कहा । उस टोकरी में बिलौटा था । नानूकाका को आने में काफी समय लग गया । टिकट चेकर उसके साथ था । नानूकाका वर्णनकर्ता के पास आया जो कार पर उसकी प्रतीक्षा कर रहा था । उसने बताया कि उसने तीसरे दर्जे के टिकट पर दूसरे दर्जे में यात्रा की थी, और बिलौटा ने बिना टिकट के, टिकट चेकर ने आपत्ति की थी । परन्तु नानूकाका ने मामला सौहार्दपूर्वक सुलझा लिया था । जब वे कार में घर जा रहे थे तो नानूकाका ने उससे पूछा कि उसने मन्त्री से उसकी भेंट कब के लिए निश्चित कराई है । वर्णनकर्ता ने उसे स्पष्ट बता दिया कि वह परख अवधि पर अंडर सेक्रेट्री मात्र है और मन्त्री से मुलाकात का समय लेना उसके लिए लगभग असम्भव था । नानूकाका ने कहा कोई बात नहीं । उसने नसवार की चुटकी सूंघी और बैठा सोचने लगा । माँ अपने भाई को देखकर और बिलौटे का उपहार पाकर बड़ी प्रसन्न हुई । नानूकाका वर्णनकर्ता के शयन कक्ष में रहा और वर्णनकर्ता ने अपनी खाट पिछले आँगन में बिछाई ।
नानूकाका को भेंट का समय मिल गया
वर्णनकर्ता ने दफ्तर से दो दिन की छुट्टी ली । वह नानूकाका को कार में नार्थ ब्लाक ले गया । वह बाहर प्रतीक्षा में खड़ा रहा और नानूकाका मन्त्री से भेंट का समय निश्चित करने अन्दर गया। वह दो घंटे पश्चात लौटा । उसे एक अधिकारी से दूसरे अधिकारी के पास ले जाया गया और एक डिप्टी सेक्रेट्री ने उसे तीन दिन आगे का समय दिया | नानुकाका बहुत क्रुद्ध हुआ
नानुकाका लाला सोहनलाल से मिलने का निर्णय लेता है
जब वे घर लौट रहे थे तो एक आकर्षक कार उनके पास से गुजरी । कार चालक वर्णनकर्ता से बोला वह दिल्ली में पार्टी का बॉस था । वर्णनकर्ता ने नानूकाका को बताया कि वे दोनों एक ही मंत्रालय में कार्य करते हैं । कुछ समय पहले सुनने में आया था कि वह ट्रेड कमिश्नर के रूप में बेरूत में भारत के राजदूत हजरत बरकत अली के पास जा रहा था । परन्तु वह बात अब समाप्त हो गई थी क्योंकि हजरत बरका अली ने उसे लेने से इन्कार कर दिया था । नानूकाका को एक योजना सूझी । उसने कहा कि वे तुरंत लाला सोहनलाल से मिलने चलेंगे ।


लाला सोहनलाल से भेंट
नानूकाका ने वर्णनकर्ता से जोधपूरी कोट और पगड़ी पहनने के लिए कहा ताकि वह उसका सेक्रेट्री प्रतीत हो । फिर वे लाला सोहनलाल के घर गए । सोहनलाल का सेक्रेट्री उनसे बातचीत करने को तैयार न था । परन्तु वह बोला कि देखता हूँ कि लाला जी फुर्सत में हैं या नहीं । जब सेक्रेट्री साथ वाले कमरे में सोहनलाल के पास चला गया था
, तो  नानूकाका ने जोर से कहा 'आजकल कितनी तीव्रगति से यात्रा करते हैं । रविवार को मैं बेरुत में था, और आज केवल मंगलवार है । पुराना यार एचबी तो मुझे कुछ दिन और रुकने के लिए कह रहा था, परन्तु मुझे एसके से केबल पर केबल प्राप्त हो रहे थे जो मुझे तुरन्त बम्बई बुला रहा था ।" जो कुछ नानूकाका ने कहा वह सब सोहनलाल ने सुन लिया । जब उसने सुना कि नानूकाका हजरत बरकत अली का घनिष्ट मित्र है, तो वह नानूकाका से मिलने तुरन्त आया ।
नानूकाका को उपयोगी सूचना प्राप्त हो जाती है
सोहनलाल व उसके सेक्रेट्री ने नानूकाका के प्रति विनम्रता से व्यवहार किया फिर लाला जी ने कहा कि उसका बेटा हजरत बरकत अली के पास ट्रेड कमिश्नान के रूप में जा रहा था, परन्तु कल्याण मंत्री ने उसके कण भर दिए | इसलिए हज़रत बरकत अली
 ने उसके बेटे को लेने से इंकार कर दिया है ।

उसने नानूकाका को यह भी बताया कि वह चाहता था कि मन्त्री अपनी बेटी का विवाह उसके बेटे से कर दे । परन्तु मन्त्री उसका विवाह निनौर के राजकुमार से करना चाहता है । यद्यपि कुण्डलियों का भी अभी तक मिलान नहीं हुआ नानूकाका ने एचवी को पत्र लिखकर उसके बेटे की नियुक्ति ट्रेड कमिश्नर के रूप में दिलाने में सहायता करने का वचन दिया । फिर उसने सोहनलाल से विदाई ली ।
मन्त्री के घर जाना
अब नानूकाका ने कहा कि वे मन्त्री के घर चलेंगे । उसने वर्णनकर्ता से कहा कि उन्हें मन्त्री पर प्रभाव डालने के लिए बड़ी कार की आवश्यकता है । वर्णनकर्ता को पता था कि सिक्का आटो ट्रेडर्ज के पास एक निराली बड़ी कार बिकने के लिए है । परन्तु वे उन्हें कार तभी चला कर देखने के लिए देंगे यदि वे संतुष्ट हुए कि नानूकाका वास्तव में ग्राहक है । नानूकाका को एक योजना सूझी । उसने धोबी को अपना पुराना कोट और बड़ी रकम का धारक चेक दिया । फिर उसे कुछ समझाया । जब वे सिक्का आटो में डीलर के कार्यालय में थे तो धोबी चेक थामे दौड़ा हुआ आया । नानूकाका ने धोबी को उसकी ईमानदारी पर इनाम दिया । सिक्का आटो डीलर वाले मान गए कि नानूकाका धनी व्यक्ति था । उन्होंने कार चलाकर देखने के लिए दे दी । वे सीधे कल्याण मन्त्री के घर गए । नानूकाका ने अतिथि पुस्तिका माँगी । उसने कहा कि वह तो शिष्टाचार के नाते आया था । परन्तु मन्त्री जी को कोई दिक्कत देना न चाहता था । उसने अपना नाम लिखा और नीचे
' महाराजा निनौर का कुल राजज्योतिषी लिखा ' और अपना दिल्ली का पता वर्णनकर्ता का पता दे दिया । फिर उसने वर्णनकर्ता को महाराजा सतकट्ठा के महल में चलने के लिए कहा क्योंकि उसने वहाँ जन्म-पत्रियाँ लौटानी थीं ।
कल्याण मन्त्री नानूकाका को मिलने आता है
अगली प्रातः कल्याण मन्त्री, जिसे मिलने के लिए नानूकाका दिल्ली आया था, वर्णनकर्ता के घर नानूकाका से मिलने आया । नानूकाका ने अपना कार्य सिद्ध कर लिया । वह लौट गया । परन्तु वर्णनकर्ता को चिन्ता है वह सोच रहा है कि तब क्या होगा जब मन्त्री को पता चलेगा कि नानूकाका वह न था जो वह होने का दिखावा कर रहा था ।

  

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