Bharat is My Home by Dr. Zakir Hussain || Bharat is My Home summary in Hindi


Bharat is My Home

Dr. Zakir Hussain

Summary in Hindi

डा. जाकिर हुसैन जाने-माने शिक्षाविद् थे । वे 1967 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए । 'भारत मेरा घर है' राष्ट्रपति के पद की शपथ लेने के पश्चात् उनके द्वारा दिए भाषण से उद्धरण की गई है । उन्हें सर्वोच्च पद पर चुन कर जो विश्वास लोगों ने उनमें व्यक्त किया, उससे गदगद हो गए । सर्वप्रथम वे अपने पूर्वाधिकारी डा. राधाकृष्णन की प्रशंसा करते हैं । वे कहते हैं कि डा. राधाकृष्णन महान विद्वान थे । उन्होंने भारतीय दार्शनिक विचार और समस्त मूल्यों की एकता के बारे में विश्व को अवगत कराया । उनका मनुष्य की सारभूत में पूरा भरोसा था और मानव के न्याय के साथ सम्मानपूर्ण जीने के अधिकार का ही समर्थन किया ।
डॉ. जाकिर हुसैन ने राष्ट्रपति का पद पूरी विनम्रता से ग्रहण किया । उन्होंने भारत के सविधान के प्रति निष्ठा की शपथ ली । वे कहते हैं कि भारत प्राचीन देश है जिसने स्वतंत्रा अभि कुछ समय पहले प्राप्त की है । भारत के लोग कई जातीय समुदायों
से संबंध रखते हैं । उन सबने मिल कर कुछ शाश्वत मूल्यों को प्राप्त करने में हजारा वर्ष तक प्रयास किए । वे स्वयं को उन मूल्यों के लिए समर्पित करते हैं । वे स्वयं को भारतीय संस्कृति की समग्रता के प्रति समर्पित करते हैं । उनका कथन है कि भूतकाल कभी नहीं समाप्त होता । इसका वर्तमान में नवीकरण हो जाता है और यह भविष्य को रूप प्रदान करता है ।
वे शिक्षा के महत्त्व पर जोर देते हैं । यह राष्ट्रीय उद्देश्य-सिद्धी का सशक्त उपकरण है । यह राष्ट्रीय संस्कृति व चरित्र को निरन्तर नवीकरण करने में सहायक है । नि:संदेह राष्ट्र की गुणवत्ता बहुत हद तक शिक्षा की गुणवत्ता पर निर्भर है । वे देशवासियों के आभारी है कि उन्होंने शिक्षाविद् के रूप में मेरी सेवाओं को मान्यता दी । 


डा. जाकिर हुसैन भारत को अपना घर और लोगों को अपना परिवार मानते हैं । राष्ट्रपति होने के नाते वे इस विशाल परिवार के, जो बड़े असुविधाजनक ढंग से बढ़ रहा है मुखिया हैं । वे भारत को सुन्दर व शालीन बनाने की शपथ लेते हैं । वे लोगों की रंग, जाति, भाषा और धर्म के भेदभाव के बिना सेवा करने की शपथ लेते हैं । राष्ट्र के पुनर्निर्माण का कार्य चुनौतीपूर्ण है । वे देशवासियों से राष्ट्र के भौतिक और सांस्कृतिक जीवन के पुनर्निर्माण के लिए अनथक और सच्चे दिल से कार्य करने का आह्वान करते हैं ।
उनके अनुसार इस कार्य के दो पहलू हैं- व्यक्तिगत व सामाजिक । व्यक्तिगत पहलू स्वयं का विकास चाहता है । समाजिक पहलू समाज की उन्नति के लिए करना मांगता है । ये दोनों पहलू एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । एक के बिना दूसरा सम्भव नहीं है । व्यक्ति अपना पूर्ण विकास केवल न्यायपूर्ण और शालीन सामाजिक व्यवस्था में ही कर सकता है ।
डा. जाकिर हुसैन राज्य के बारे में गाँधी जी के विचार का समर्थन करते हैं । वे राज्य को नैतिक संगठन मानते हैं
, न कि पाश्विक शक्ति का संगठन । राज्य को अपनी शक्ति का उपयोग केवल नैतिक उद्देश्यों के लिए ही करना चाहिए । डा. जाकिर हुसैन को इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए लोगों की क्षमता पर भरोसा है । वे वचन देते हैं कि जो भी सहायता इसमें वे दे सकते हैं, वे देंगे ।

 

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